Ratlam me ghumne ki jagah : मध्यप्रदेश के मालवा क्षेत्र में स्थित रतलाम एक ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक स्थल है। इस शहर की स्थापना 1652 ईस्वी में महाराजा रतनसिंह राठौर ने की थी। इस शहर में कई सारी प्राचीन मंदिर होने के कारण चारो तरफ एक अलग ही प्रकार की आध्यत्म की अनुभूति प्राप्त होती है। शहर का शांत वातावरण और ऐतिहासिक संरचनाएं यहाँ आने वाले आगंतुकों को अपनी ओर आकर्षित करते है। व्यावसायिक दृष्टिकोण से भी यह शहर काफी महत्वपूर्ण है। वैसे तो रतलाम में घूमने के लिए कई सारी जगहें है, लेकिन आज मैं आपको रतलाम के 10 बेहद खास जगह के बारे में बताने जा रही हूँ, जहाँ घूम कर आपका मन प्रफुल्लित हो जाएगा। तो चलिए शुरू करते है, रतलाम के इन खूबसूरत जगहों की सैर करते है।
Table of Contents
- 1 रतलाम में घूमने की 10 जगहें (Ratlam me ghumne ki jagah in hindi)
- 1.1 1. कालिका माता मंदिर (kalika mata temple)
- 1.2 2. कैक्टस गार्डन (cactus garden)
- 1.3 3. खरमौर पक्षी अभयारण्य (Kharmor bird Abhyaran)
- 1.4 4. कीर्ति स्तंभ सैलाना (Kirti stambh sailana)
- 1.5 5. धोलावाड़ बांध (Dholwad Dam)
- 1.6 6. श्री केदारेश्वर महादेव मंदिर ( Shree kedareswar mahdev temple)
- 1.7 7. अष्टपद जैन तीर्थ मंदिर (Ashtapad jain teerth temple)
- 1.8 8. रणजीत विलास पैलेस (Ranjit Vilas Palace)
- 1.9 9. विरूपाक्ष महादेव मंदिर या बिलपाकेश्वर मंदिर ( Virupaksha Mahadev Temple)
- 1.10 10. गढ़ खंखाई माताजी मंदिर (Garh khankhai Mataji)
- 2 रतलाम कैसे पहुंचे (How to reach Ratlam)
रतलाम में घूमने की 10 जगहें (Ratlam me ghumne ki jagah in hindi)
1. कालिका माता मंदिर (kalika mata temple)

कालिका माता मंदिर रतलाम के सबसे लोकप्रिय मंदिरों में से एक है, जो शहर वासियों के आस्था का केंद्र बिन्दु भी है। इस मंदिर का सबसे बड़ा आकर्षण दीवारों पर बनी खूबसूरत नक्काशी और मूर्तिकला है। इस मंदिर की स्थापना 17वीं शताब्दी में राजा रतन सिंह जी के द्वारा करवायी गई थी। इस मंदिर में माता कालिका के तीन स्वरुप यानि शिशु रूप, यौवन रूप और वृद्ध रूप की पूजा की जाती है। सुबह की पूजा शिशु रूप में, दोपहर की पूजा यौवन रूप में जबकि शाम की पूजा वृद्ध रूप में की जाती है।
प्रवेश समय : सुबह के 5 बजे से रात्रि के 9 बजे तक।
प्रवेश शुल्क : मंदिर में दर्शन करने के लिए कोई शुल्क नही लगता है।
2. कैक्टस गार्डन (cactus garden)

जसवंत निवास पैलेस में स्थित कैक्टस गार्डन एशिया का सबसे बड़ा कैक्टस गार्डन है, जिसमे आपको लगभग 1200 प्रकार के कैक्टस देखने को मिलेंगे। इस गार्डन का निर्माण सैलाना के महाराज विजय सिंह राठौर के द्वारा सन 1960 में करवाया गया था। इस गार्डन में इनमें कई सारी कैक्टस ऐसे भी देखने को मिलेंगे। जिनकी लम्बाई लगभग 20 फीट से भी ऊँची है। कैक्टस का यह नजारा बेहद सुंदर और अद्भूत अनुभूति देने वाला है। गार्डन के बीच में बैठने की भी अच्छी व्यवस्था है, ताकि पर्यटक कुछ पल इस सुंदर और मनभावक दृश्य का आनंद ले सकें। प्रकृति प्रेमियों के लिए यह गार्डन एक आदर्श स्थान है।
प्रवेश समय : सुबह के 9 बजे से शाम के 6 बजे तक।
प्रवेश शुल्क : वयस्कों के लिए 40/- रूपये जबकि बच्चों के लिए 20/- रूपये प्रवेश शुल्क निर्धारित है।
3. खरमौर पक्षी अभयारण्य (Kharmor bird Abhyaran)

रतलाम में स्थित खरमौर पक्षी अभयारण्य जो सैलान पक्षी अभ्यारण के नाम से भी जाना जाता है, की स्थापना सन 1983 में हुई थी। लगभग 13 वर्ग किलोमीटर के एरिया में फैले इस अभ्यारण का नाम खरमौर नामक दुर्लभ प्रवासी पक्षी के नाम पर रखा गया है। प्रकृति की गोद में बसा यह अभ्यारण्य लेसर फ्लोरिकन (खरमोर) के प्रजनन स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। इसके अलावे इस अभ्यारण्य में लगभग 80 से अधिक प्रजाति के पक्षियाँ पाई जाती है, जिनमें मुख्य है मोंटागू का हैरियर, पैलिड, लाल गर्दन वाला बाज, सारस क्रेन, लेसर क्रेस्टल, भारतीय स्कीमर इत्यादि।
प्रवेश समय : सुबह के 9 बजे से शाम के 6 बजे तक।
प्रवेश शुल्क : इस अभ्यारण्य में घूमने के लिए कोई शुल्क नही लगता है।
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4. कीर्ति स्तंभ सैलाना (Kirti stambh sailana)
रतलाम के सैलाना में स्थित कीर्ति स्तंभ जो टावर ऑफ फेम के नाम से भी जाना जाता है, एक ऐतिहासिक स्थल है। इसका निर्माण 19वीं शताब्दी में महाराजा जसवंत सिंह के द्वारा करवाया गया था। इस स्तंभ का निर्माण जैन धर्म के प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से किया गया था यह स्तंभ जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव को समर्पित है। इस स्तंभ के ऊपर से आप रतलाम की प्राकृतिक खूबसूरती को देख सकते है ऊपर से शहर का नजारा देखने पर मन प्रफुलित हो जाता है। त्योहारों के समय यहाँ विशेष लाइट शो का आयोजन किया जाता है, जो यहाँ आने वाले पर्यटकों को आर्कर्षित करता है।
प्रवेश समय : 24 X 7 यह खुला रहता है।
प्रवेश शुल्क : यहाँ घूमने के लिए कोई शुल्क नही लगता है।
5. धोलावाड़ बांध (Dholwad Dam)

धोलावाड़ बांध (Dholwad Dam) रतलाम शहर में स्थित एक फेमस जलाशय है, जिससे रतलाम और आस-पास के कई जिलों में जल आपूर्ति होती है। इस जलाशय में नौकाविहार की भी सुविधा उपलब्ध है। बांध के आस-पास का शांत वातावरण आत्मा और मन को तरोताजा कर देता है। यहाँ पर इको टूरिज्म फेस्टिवल का भी आयोजन किया जाता है। उस दौरान तरह-तरह की गतिविधियाँ जैसे वाटर स्पोर्ट्स, माउन्टेन बाइकिंग, सनराइज औ सनसेट व्यू का भरपूर आनंद लिया जा सकता है। मानसून के दौरान यहाँ का वातावरण काफी खुशनुमा हो जाता है।
प्रवेश समय : यहाँ घूमने का कोई निर्धारित समय नही है, स्थानीय प्रशासन समय-समय पर इसके के लिए दिशा-निर्देश जारी करता रहता है।
प्रवेश शुल्क : यहाँ घूमने के लिए कोई शुल्क नही लगता है।
6. श्री केदारेश्वर महादेव मंदिर ( Shree kedareswar mahdev temple)

रतलाम स्थित केदारेश्वर मंदिर भगवान शिव को समर्पित है, जो एक ही चट्टान को तराश कर बना गया है। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण पांडवों के अज्ञातवास के दौरान भीम ने की थी। चारो तरफ से पहाड़ों से घिरा यह मंदिर एक अध्यात्म का जीता जागता केंद्र है। मंदिर के पास ही कई रहस्यमयी गुफाएं भी है जो एक अलग तरह का रोमांच प्रदान करता है।
प्रवेश समय : सुबह के 7.00 बजे से दोपहर के 11.00 बजे और शाम के 5.00 बजे से रात्रि के 7.00 बजे तक।
प्रवेश शुल्क : यहाँ दर्शन करने के लिए कोई शुल्क नही लगता है।
7. अष्टपद जैन तीर्थ मंदिर (Ashtapad jain teerth temple)

रतलाम के हाटपिपलिया गांव में स्थित अष्टपद जैन मंदिर जैन धर्म के श्वेताम्बर संप्रदाय का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। इसी स्थान पर जैन तीर्थंकर भगवान आदिनाथ को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी। इस मंदिर के चारो तरफ का शांत वातावरण मन को मोहित कर देता है। शांति की तलाश में रहने वाले पर्यटकों के लिए यह एक आदर्श स्थल है।
प्रवेश समय : सुबह के 5.30 बजे से दोपहर के 11.30 बजे और शाम के 5.30 बजे से रात्रि के 8.30 बजे तक।
प्रवेश शुल्क : यहाँ दर्शन करने के लिए कोई शुल्क नही लगता है।
8. रणजीत विलास पैलेस (Ranjit Vilas Palace)

रतलाम स्थित रणजीत विलास पैलेस एक ऐतिहासिक महल है, जो अपनी स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध है। यह महल रतलाम के शाही परिवार का निवास स्थल था जिसका निर्माण महाराजा रणजीत सिंह राठौड़ के द्वारा सन 1880 में करवाया गया था। महल की इतालवी वास्तुकला और फर्श की नक्काशी बेजोड़ है। महल की आतंरिक सजावट के लिए वॉलपेपर और ग्लास यूरोप से मंगाए गये थे। इस महल में एक लिफ्ट भी लगाई गई थी, जो उस समय में बेहद दुर्लभ हुआ करती थी।
प्रवेश समय : सुबह के 9.00 बजे से शाम के 6.00 बजे तक।
प्रवेश शुल्क : यहाँ घूमने के लिए कोई शुल्क नही लगता है।
9. विरूपाक्ष महादेव मंदिर या बिलपाकेश्वर मंदिर ( Virupaksha Mahadev Temple)

रतलाम में स्थित विरूपाक्ष महादेव मंदिर जो बिलपाकेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, एक ऐतिहासिक और प्रसिद्ध मंदिर है, जो भगवान शिव को समर्पित है। गुर्जर-चालुक्य शैली में निर्मित इस मंदिर का निर्माण 10वीं शताब्दी के दौरान हुआ था। इस मंदिर में 64 स्तंभों वाला एक सभागार भी जिसे भूल भुलैया वाला शिव मंदिर भी कहा जाता है। इस मंदिर में भगवान शिव के अतिरिक्त माता पार्वती, भगवान गणेश और भगवान सूर्य के मंदिर भी है। इस मंदिर की वास्तुकला बेहद भव्य है।
प्रवेश समय : सुबह के 5.00 बजे से रात्रि के 8.00 बजे तक।
प्रवेश शुल्क : यहाँ दर्शन करने के लिए कोई शुल्क नही लगता है।
10. गढ़ खंखाई माताजी मंदिर (Garh khankhai Mataji)

माही नदी के तट पर स्थित गढ़ खंखाई माताजी मंदिर रतलाम का एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। मंदिर के आस-पास का शांत और मनोरम दृश्य मन को भावुक कर देता है। इस मंदिर में ज्यादा भीड़-भार नही रहता है। हालांकि त्योहारों के समय मंदिर में श्रद्धालुओं की संख्या बहुत बढ़ जाती है। अपनी रतलाम यात्रा के दौरान एक बार इस मंदिर का दर्शन जरुर करना चाहिए।
प्रवेश समय : आमतौर पर मंदिर सुबह से शाम तक खुला रहता है, मंदिर के खुलने और बंद होने का कोई निर्धारित समय-सारणी उपलब्ध नही है।
प्रवेश शुल्क : यहाँ दर्शन करने के लिए कोई शुल्क नही लगता है।
रतलाम कैसे पहुंचे (How to reach Ratlam)
रतलाम सड़क मार्ग, रेल मार्ग और हवाई मार्ग तीनो से जुड़ा है। रतलाम में रेलवे जंक्शन है जहाँ से देश के लगभग सभी बड़े शहरों से रेल की सीधी सेवा उपलब्ध है। रतलाम से नजदीकी हवाई अड्डा इंदौर हवाई अड्डा है, जहाँ से रतलाम की दूरी लगभग 130 किलोमीटर है। रतलाम राष्ट्रीय और राज्य मार्गो से सीधे जुड़े होने के कारण आप सड़क मार्ग से भी यहाँ पहुँच सकते है।
रतलाम के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. रतलाम किस लिए प्रसिद्ध है?
रतलाम अपनी अनोखी प्रवेश द्वारों, धार्मिक स्थलों, और पारंपरिक भोजन के लिए प्रसिद्ध है।
2. रतलाम का दूसरा नाम क्या है?
रतलाम शहर का पुराना नाम रतराम था।
3. रतलाम किस फल के लिए प्रसिद्ध है?
यहाँ का सबसे फेमस फल आम है।
4. रतलाम किस भोजन के लिए प्रसिद्ध है?
रतलाम में कई सारे व्यंजन फेमस है, लेकिन यहाँ का समोसा चाट, कचौरी और भेल-पुरी सबसे ज्यादा फेमस है।
अंत में,
आज के इस आर्टिकल में Ratlam me ghumne ki jagah (रतलाम में घूमने की जगहें) के बारे में विस्तार से जाना। आशा करती हूँ की आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा। अगर आर्टिकल अच्छा लगे तो अपने दोस्तों एवं अपने सोशल मीडिया पर शेयर जरुर करें। अगर आप इस आर्टिकल से जुड़े कोई भी सुझाव देना चाहते है तो कमेंट करके जरुर बताएं।

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