15+ Gwalior Me Ghumne ki Jagah ग्वालियर में घूमने की बेहतरीन जगहें, जो आपको जरुर देखनी चाहिए

Gwalior Me Ghumne ki Jagah : ग्वालियर, मध्य प्रदेश के लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है, जो अपनी समृद्ध विरासत, मंदिरों, प्राचीन किलों, भक्तिमय संगीत और समृद्ध इतिहास के लिए प्रसिद्ध है। कला प्रेमी और इतिहास प्रेमियों के लिए यह शहर बेहद ही खास है। इस शहर की स्थापना 8वीं शताब्दी में राजा सूरज सिंह द्वारा किया गया था। ग्वालियर शहर मराठा, सिन्धी और तोमर राज शासकों की अनेकों कहानियों से भरी पड़ी है। अगर आप पहली बार यहां घूमने जा रहे हो, तो यहां की जानकारी अच्छी तरह से ले कर ही जाएँ। जिससे ये सफ़र आपका यादगार सफ़र बन जाए। तो दोस्तों आज हम आपको लेकर चलते हैं, ग्वालियर के उन 15 जगहों पर जहाँ घूमने के बाद आपको बार-बार इस मन भावन जगह पर जाने का मन करेगा।

ग्वालियर में घूमने की बेहतरीन जगहें Gwalior Me Ghumne ki Jagah

दोस्तों यहां ग्वालियर का किला, जय विलास पैलेस, गुजरी महल, तानसेन का मकबरा, सास-बहु का मंदिर, सिंधिया म्यूजियम जैसे अनेकों घूमने की जगहें है, जहाँ जाकर आपको एक अद्भूत एहसास होगा। यहां जाने के लिए आपको रेल, बस और हवाई तीनो तरह से यात्रा कर सकते हैं। दोस्तों अगर आप सफ़र के शौक़ीन हैं, तो यह पोस्ट आपके लिए है। यहां आपको हरेक पोस्ट में अलग-अलग खूबसूरत जगहों की यात्रा और उससे आसान बनाने की जानकारी आपको दी जायगी।

1. ग्वालियर का किला (Gwalior Fort)

Gwalior Me Ghumne ki Jagah
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1500 वर्ष से भी अधिक पुराने इस ग्वालियर के किले को भारत के सबसे समृद्ध किले के रूप में भी जाना जाता है। 35 फीट ऊँचे और तीन वर्ग किलोमीटर के दायरे में फैले इस महल का निर्माण 8 वीं शताब्दी में राजा सूर्य सेन ने करवाया था। इस किले को पूर्ब का जिब्राल्टर भी कहा जाता है और इसका निर्माण गोपाचल नामक पर्वत पर किया गया है। इस किले को घूमने के लिए एक पर्वत पर चढ़ना पड़ता है, जिसके लिए 2 मेन गेट बनाये गये है। जहाँ से आप पैदल यात्रा करके ग्वालियर के किले में जा सकते हैं। इस मंदिर में बहुत सी प्राचीन काल की मूर्तियाँ और शिल्प कलाएं यहां आने वाले पर्यटकों का मन मोह लेती है। इस किले की दीवारें आज भी इतनी मजबूत है कि कोई गिराना चाहे तो भी नही गिरा सकता।इस किले के अन्दर जैन मंदिर, भगवान बुद्ध का मंदिर और भी कई सारी स्मारके एवं तरह-तरह की कला कृतियाँ भी मौजूद है।

प्रवेश समय :- सुबह के 7.00 से शाम के 5.30 तक।

प्रवेश शुल्क :–  भारतीय नागरिकों के लिए रुपये 75/- प्रति व्यक्ति जबकि विदेशी पर्यटकों के लिए रूपये 250/- प्रति व्यक्ति। 15 वर्ष तक के बच्चो के प्रवेश पर कोई शुल्क नही लगता है। रात्रि में लाइट और साउंड शो का आयोजन भी किया जाता है जिसका शुल्क अलग से देय होता है।

2. तेली का मन्दिर (Teli Ka Mandir)

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द्रविड शैली की वास्तुकला से बने इस मंदिर का निर्माण 9 वीं शताब्दी में राजा मिहिर भोज ने कराया था। लगभग 30 मीटर ऊँचे इस मंदिर में एक बरामदा, एक द्वार और एक गर्भ गृह भी है, और यह मंदिर भगवान विष्णु जी को समर्पित है। यह मंदिर तेल बेचने वाले व्यापारियों के पैसों से बनाया गया था इसीलिए इस मंदिर का नाम तेली का मंदिर रखा गया था।

प्रवेश समय :- सुबह के 8.00 से शाम के 6.00 तक।

प्रवेश शुल्क :–  भारतीय नागरिकों के लिए रुपये 20/- प्रति व्यक्ति।

3. गुजरी महल (Gujri Mahal)

Gwalior Me Ghumne ki Jagah
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15 वीं शताब्दी में बने इस गुजरी महल का निर्माण राजा मान सिंह तोमर जी ने अपनी पसंदीदा रानी मृगनयनी जो गुर्जर थी। उनके नाम पे उनके स्मारक के रूप में बनवाया गया था। गुजरी महल ग्वालियर किले में ही मौजूद है और यहां का संग्रहालय मध्यप्रदेश का सबसे पुराना संग्रहालय है। रंगीन टाईलों से सजे इस मंदिर में धरोहर के रूप में चित्रकारी, वाद्ययंत्र, अस्त्र-शस्त्र, प्राचीन मुद्राएँ और विशेष प्रतिमाएं संजोकर रखी गयी है। यह महल 71 मीटर लम्बा और 60 मीटर चौड़ा है।

प्रवेश समय :- सुबह के 7.30 बजे से शाम के 6.30 बजे तक। (सोमवार और सरकारी छुट्टियों के दिन बंद रहता है)।

प्रवेश शुल्क :– भारतीय नागरिकों के लिए  रुपये 10/- प्रति व्यक्ति जबकि विदेशी पर्यटकों के लिए रूपये 100/-।

4. जय विलास पैलेस (Jaivilas Palace)

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ग्वालियर में स्थित जय विलास पैलेस जिसे जय विलास महल के नाम से भी जाना जाता है, प्राचीन भारतीय संस्कृति और वैभव का प्रतिक है। इसका निर्माण 1874 में ग्वालियर के महाराज जयाजी राव सिंधिया ने ब्रिटेन के प्रिंस ऑफ वेल्स के स्वागत के लिए करवाया था। लगभग 72 एकड़ क्षेत्र में फैले इस विशाल महल का डिजाईन प्रसिद्ध वास्तुकार सर माइकल फिलोस ने किया था। संगमरमर के फर्श, फ़ारसी कालीन, फ्रांस और इटली की दुर्लभ प्राचीन वस्तुओं से सुसज्जित इस महल का मुख्य आकर्षण दरबार हॉल हैं। इस हॉल में लगे कालीन को बनाने में लगभग 12 वर्ष का समय लगा था इसे देखने के लिए कम से कम 2-3 घंटे की आवश्यक होती है।

प्रवेश समय :- गर्मियों में ( अप्रैल से सितम्बर) सुबह के 10 बजे से शाम के 5 बजे तक और सर्दियों में (अक्टूबर से मार्च) सुबह के 10 बजे से शाम के 4.45 तक। (सोमवार को यह महल बंद रहता है।)

प्रवेश शुल्क :–  भारतीय नागरिकों के लिए रुपये 100/- प्रति व्यक्ति जबकि विदेशी पर्यटकों के लिए रूपये 600/- प्रति व्यक्ति। 5 वर्ष तक के बच्चो के प्रवेश पर कोई शुल्क नही लगता है।  

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5. तानसेन का मकबरा (Tomb of Tansen)

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तानसेन भारत के महानतम संगीतकारों में से एक थे जो महान मुग़ल शासक अकबर के नौ रत्नों में भी शामिल थे। तानसेन का मकबरा ग्वालियर के हजीरा क्षेत्र में स्थित है। इस मकबरा का वास्तुकला काफी सुंदर और देखने योग्य है। प्रत्येक वर्ष यहाँ नवंबर के महीने में संगीत समारोह का आयोजन होता है, जिसमे देश भर के प्रख्यात संगीतकार शास्त्रीय संगीत की प्रस्तुति देते है।  

प्रवेश समय :- सुबह के 8.00 बजे से शाम के 6.00 बजे तक।

प्रवेश शुल्क :– यहाँ घूमने के लिए कोई शुल्क नही लगता है।

6. सूरज कुंड (Suraj Kund) 

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सूरज कुंड ग्वालियर के किले के पास स्थित एक सुन्दर तालाब है, जिसका पुनरुद्धार 8वीं शताब्दी में राजा सूरजसेन के द्वारा करवाया गया था। ऐसी मान्यता है कि जब राजा सूरजसेन कुष्ठ रोग से पीड़ित थे, तो इस तालाब के पानी में स्नान किया था जिससे उनका कुष्ठ ठीक हो गया था।

प्रवेश समय :– सुबह के 8.00 बजे से शाम के 6.00 बजे तक।

प्रवेश शुल्क :– यहाँ घूमने के लिए कोई शुल्क नही लगता है।

7. सास-बहु मंदिर (Saas-Bahu Mandir) 

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सास बहू मंदिर, ग्वालियर का एक प्रसिद्ध और एतिहासिक मंदिर है, जो भगवान विष्णु और शिव को समर्पित है। इस मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में कछवाहा राजा महिपाल ने करवाया था। नागर शैली में बने इस मंदिर का तिन-स्तरीय संरचना, वास्तुकला और नक्काशी बेहद ही खूबसूरत है।  

प्रवेश समय :– सुबह के 8.00 बजे से शाम के 6.00 बजे तक।

प्रवेश शुल्क :– यहाँ घूमने के लिए कोई शुल्क नही लगता है।  

8. गोपाचल पर्वत (Gopachal Parvat)

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गोपाचल पर्वत, ग्वालियर का एक बहुत ही प्रसिद्ध ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल है, जो ग्वालियर के किले बेहद पास स्थित है। यहाँ जैन धर्म से जुड़ी अनेकों मूर्तियाँ देखने को मिलेगी जिनमे सबसे प्रसिद्ध है, भगवान पार्श्वनाथ की मूर्ती जो विश्व की सबसे बड़ी पद्मासन मूर्ती है। इन मूर्तियों का निर्माण तोमर वंश के शासको के द्वारा किया गया है इन मूर्तियों की शिल्प कला देखने लायक है।

प्रवेश समय :- सुबह के 5.30 से दोपहर के 11.30 और शाम के 5.30 से रात्रि के 8.30 तक।

प्रवेश शुल्क :- यहाँ घूमने के लिए कोई शुल्क नही देना पड़ता है।

9. फूल बाग (Phool Bagh)

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फूलबाग, ग्वालियर का एक प्रसिद्ध सांस्कृतिक स्थल है। इसका निर्माण मराठा शासक माधव राव सिंधिया के द्वारा करवाया गया था, जिसका उद्घाटन प्रिंस ऑफ वेल्स ने किया था। इस बाग़ में एक मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारा भी है, जो सर्व धर्म सद्भावना का प्रतिक है। बच्चों के खेलने के लिए सुन्दर पार्क भी है। अपनी ग्वालियर यात्रा के दौरान एक बार यहाँ अवश्य जाएँ।  

प्रवेश समय :- सुबह के 6.30 से रात्रि के 7.00 तक।

प्रवेश शुल्क :- यहाँ घूमने के लिए कोई शुल्क नही देना पड़ता है।

10. मोती महल (Moti Mahal)

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हिंदू शैली में बना मोती महल, ग्वालियर का एक प्रसिद्ध एतिहासिक स्थल है। इसका निर्माण 1825 में  महाराजा दौलतराव सिंधिया के द्वारा करवाया गया था। इस विशाल महल में लगभग 900 कमरे है। कहा जाता है कि इसी महल में सिंधिया राज घराना का राज्य सचिवालय था। यानि राज्य के सारे कार्य इसी महल से होते थे। इस महल के मुख्य आकर्षणों में दीवारों पर बने भित्ति चित्र एवं नक्काशी है।

प्रवेश समय :- सुबह के 10.00 से रात्रि के 10.00 तक। (यह महल रविवार को बंद रहता है)।

प्रवेश शुल्क :- यहाँ घूमने के लिए कोई शुल्क नही देना पड़ता है।

11. गांधी प्राणी उद्यान (Gandhi Zoo)

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गांधी प्राणी उद्यान, जिसे ग्वालियर चिड़ियाघर भी कहा जाता है, की स्थापना 1922 में माधो राव सिंधिया के द्वारा किया गया था। यह प्राणी उद्यान फूल बाग क्षेत्र में ही स्थित है। इस उद्यान में सफेद बाघ, शुतुरमुर्ग, दरियाई घोड़े, काला हिरण, मगरमच्छ, तेंदुआ, घड़ियाल, हिप्पोपोटामस, सरास, मोर जैसे दुर्लभ और संरक्षित प्राणी आकर्षण के मुख्य केंद्र बिन्दू है। वीकेंड में बच्चो के साथ घूमने के लिए यह उद्यान एक आदर्श स्थल है।

प्रवेश समय :– सुबह के 8.00 बजे से शाम के 6.00 बजे तक।

प्रवेश शुल्क :–  व्यस्क भारतीय नागरिकों के लिए रुपये 30/- प्रति व्यक्ति, 5 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के बच्चो के लिए 10/- प्रति बच्चे और विदेशी पर्यटकों के लिए रूपये 100/- प्रति पर्यटक।

12. सराफ़ा बाज़ार (Sarafa Market)

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ग्वालियर स्थित यह सराफा बाजार आपको यहां की स्पेशल शोपिंग में आपकी मदद कर सकता है, अगर आप ग्वालियर घूमने गये हो तो यहां से अपने लिए खरीदारी जरुर करें। ज्वेलरी, यहां की पारम्परिक ड्रेस, यहां के फेमस हैंडी क्राफ्ट, फेमस फ़ूड जैसी खरीदारी और भोजन की व्यवस्था भी यहां उपलब्ध है। यह बाजार बजट फ्रेंडली भी है, जिससे आपको खरीददारी में आसानी होगी। अगर आप ग्वालियर घूमने जाए तो एक बार इस मार्किट जरुर जाए और खरीददारी भी जरुर करें।

प्रवेश समय :- यह बाजार सुबह के 10 बजे से लेकर रात के 10 बजे तक खुला रह्ता है।

प्रवेश शुल्क :- यहां घूमने के लिए कोई भी शुल्क नही देना पड़ता है।

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13. तिघरा बांध (Tighra Dam)

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ग्वालियर स्थित तिघरा बांध एक फ्रेश वाटर पूल है, जिसका निर्माण भारत रत्न एम विश्वशवरैया ने कराया था। इस पूल में बोटिंग, तरह-तरह की मछलियां, पानी में पाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के जीव-जंतु भी देखने को मिलते हैं। इस झील में तरह-तरह के खूबसूरत पक्षी भी घूमने आते हैं, जो आपके मन को मोह लेंगे। बारिश के मौसम में इस बांध को खोल दिया जाता है, जो देखने में बेहद ही मनभावन होता है।

प्रवेश शुल्क :- यहां घूमने के लिए कोई भी शुल्क नही देना पड़ता है।

14. राष्ट्रीय चम्बल अभ्यारण्य (National Chambal Sanctuary)

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ग्वालियर स्थित राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य प्रकृति प्रेमियों और ट्रैकर्स के शौकीन व्यक्तियों के लिए एक आदर्श स्थल है। इस अभ्यारण्य के भीतर से प्राकृतिक रूप से बहती चम्बल नदी, पहाड़ियों और बीहड़ की खाइयों से गुजरती है। जिसके रेतीले किनारों पर बहुत सारे जंगली जानवर विचरण करते हुए देखे जा सकते हैं। 1979 में स्थापित यह अभ्यारण्य एक संरक्षित क्षेत्र है, जिसका मुख्य उद्देश्य घड़ियाल, दलदली मगरमच्छ, लाल मुकुट कछुआ और डॉल्फ़िन को संरक्षित करना है। 5400 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले इस अभ्यारण्य में आप जंगल सफारी का भी आनंद ले सकते है।

प्रवेश शुल्क :– यहां प्रवेश के लिए कोई भी शुल्क नही देना पड़ता है |

15. रानी लक्ष्मी बाई समाधि स्थल

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ग्वालियर में स्थित रानी लक्ष्मी बाई समाधि स्थल भारतीय इतिहास की सबसे शक्तिशाली महिलाओं में से एक झाँसी की रानी लक्ष्मी बाई जी की याद और सम्मान में बनाइ गयी है। इस जगह के बारे में कहावत है की रानी लक्ष्मी बाई जी के अवशेषों को जलाने के बाद जिस जगह पर दफ़न किया गया था, उसी जगह पर ये समाधि स्थल बनाया गया है। इस जगह पर रानी जी की लगभग 8 फीट ऊँची मूर्ति भी स्थापित की गयी है। इस जगह पर हर साल जून में रानी जी की याद और सम्मान में मेला लगता है, जहाँ हजारों की संख्या में लोग आते हैं।

प्रवेश शुल्क :- यहां प्रवेश के लिए कोई शुल्क नही लगता है।

अंत में,

दोस्तों, आपको मेरी द्वारा दी गयी जानकारी कैसी लगी अगर अच्छी लगी हो तो प्लीज अपने उन दोस्तों को जरुर शेयर करें जो घूमने के शौक़ीन हो ,और अपनी यात्रा के यादगार पल हमारे साथ भी शेयर करें ,Thank you !

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