Somnath me Ghumne ki Jagah: सोमनाथ भारत के गुजरात राज्य के गिर सोमनाथ जिले में स्थित एक प्राचीन तीर्थ स्थल है। सोमनाथ कपिला, हिरण एवं सरस्वती नदियों के त्रिवेणी संगम पर अवस्थित होने के कारण आस्था के दृष्टी से बेहद खास है। अपने प्राचीन मंदिरों की प्रसिद्धी के कारण विश्वभर के पर्यटकों विशेष कर हिन्दू धर्मावलम्बियों के लिए बेहद पवित्र और पूजनीय है। सोमनाथ का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व बहुत अधिक है क्योंकि इसे भगवान शिव का पवित्र स्थल माना जाता है। भगवान शिव के 12 पवित्र ज्योतिर्लिंग में पहला ज्योतिर्लिंग यही पर स्थित है। इस मंदिर का इतिहास काफी पुराना है, साथ ही साथ यह मंदिर विनाश और पुनर्निर्माण की कहानियों से भरा पड़ा है। समुंद्र तट के समीप होने के कारण इस जगह ही सुंदरता पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देती है। इस स्थान पर शांति और भक्ति का अद्वितीय अनुभव प्राप्त होता है।
आज के इस आर्टिकल में, आप सोमनाथ के बारे में विस्तार से जानेंगे। जैसे:- सोमनाथ मंदिर का इतिहास क्या है? सोमनाथ में घूमने की जगहें कौन-कौन सी है? सोमनाथ में खास क्या है? सोमनाथ कैसे मंदिर कैसे पहुँच सकते है?
Table of Contents
- 1 सोमनाथ मंदिर का इतिहास । History of Somnath Temple
- 2 सोमनाथ में घूमने की जगह Somnath me ghumne ki jagah
- 2.1 1. सोमनाथ मंदिर (Somnath Temple)
- 2.2 2. लक्ष्मी नारायण मंदिर (Laxmi Narayan Temple, Somnath)
- 2.3 3. श्री परशुराम मंदिर (Shree Parshuram Temple, Somnath)
- 2.4 4. देहोत्सर्ग तीर्थ (Dehotsarg Teerth)
- 2.5 5. भालका तीर्थ (Bhalka Teerth)
- 2.6 6. प्रभास पाटन संग्रहालय (Prabhas Patan Museum)
- 2.7 7. पंच पांडव गुफा (Panch Pandav Gufa)
- 2.8 8. जूनागढ़ गेट (Junagadh Gate)
- 2.9 9. सोमनाथ बीच (Somnath Beach)
- 2.10 10. गिर राष्ट्रीय उद्यान (Gir National Park)
- 3 सोमनाथ मंदिर कैसे पहुंचे
- 4 सोमनाथ जाने के लिए कौन सा मौसम सबसे अच्छा होता है?
- 5 सोमनाथ मंदिर के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न हैं?
- 5.1 1. सोमनाथ मंदिर कहाँ स्थित है ?
- 5.2 2. सोमनाथ की यात्रा के सबसे अच्छा मौसम कौन सा है?
- 5.3 3. सोमनाथ की फेमस भोजन क्या है?
- 5.4 4. सोमनाथ में कौन सी भाषा बोली जाती है?
- 5.5 5. सोमनाथ मंदिर की वास्तुकला की विशेषताएँ क्या हैं?
- 5.6 6. सोमनाथ की यात्रा के लिए कितने दिन चाहिए?
- 5.7 7. सोमनाथ की यात्रा के लिए कितना बजट होना चाहिए?
सोमनाथ मंदिर का इतिहास । History of Somnath Temple
सोमनाथ मंदिर का इतिहास काफी पुराना है। यह मंदिर गुजरात के गिर सोमनाथ जिले में अवस्थित है। इस मंदिर के निर्माण जुड़ी कई अवधारणाएं है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर का निर्माण भगवान शिव के द्वारा स्वयं किया था, जबकि उपलब्ध हिन्दू ग्रंथो के अनुसार इस मंदिर का निर्माण चंद्रभागा राज्य के राजा सोम देव के द्वारा किया गया था। चुंकि राजा सोम ने सर्व प्रथम इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग की पूजा की थी, इसलिए इस मंदिर को “सोमेश्वर” नाम की संज्ञा दी गई। यह मंदिर प्राचीन भारतीय वास्तुकला की अद्भूत उदहारण है। सोमनाथ मंदिर पर इतिहास में कई बार आक्रमण हुआ है और हरेक बार इसका पुनरुद्धार भी किया गया। ऐतिहासिक साक्ष्यों के अनुसार सबसे पहले इस मंदिर पर आक्रमण अफगानिस्तान के गजना शहर के राजा महमूद गजनवी नें 1025 ईस्वी में किया था। उसने इस मंदिर को बार लूटने के साथ ही इसे नष्ट यानि तोड़ भी दिया था। इसके बाद इस मंदिर का पुनर्निर्माण राजा भीमदेव ने किया था। पुन: इस मंदिर को 16वीं शताब्दी में मुगल शासक औरंगजेब ने तोड़ दिया था। इसके बाद भी इस मंदिर के पुनर्निर्माण का कार्य चलता रहा। भारत की स्वतंत्रता के बाद वर्ष 1951 में सरकार के द्वारा इस मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया गया।
सोमनाथ में घूमने की जगह Somnath me ghumne ki jagah
1. सोमनाथ मंदिर (Somnath Temple)

सोमनाथ मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में पहला और सबसे प्राचीन है। पौराणिक ग्रंथो के वर्णित यह मंदिर भारत कि वास्तुकला एवं समृद्धि का जीता जागता उदहारण हैं। सोमनाथ का अर्थ होता है ”सोम” का मतलब होता है ”चन्द्रमा ”और ”नाथ” का मतलब होता है” भगवान”, मतलब( चन्द्रमा के भगवान) का मंदिर। सोमनाथ मंदिर के बारे में मान्यता है की इसकी स्थापना स्वयं चन्द्र देवता ने की थी। मान्यता यह भी है कि यहीं की धरती पर भगवान श्री कृष्ण ने अपना शरीर त्याग किया था। कई आक्रमणकारिओं के द्वारा इसे नष्ट करने करने का प्रयास किया गया, लेकिन कोई भी इसमें पूरी तरह सफल ना हो सका। ऐसी मान्यता है कि यदि किसी व्यक्ति के कुंडली में चन्द्र दोष या चन्द्र नीच का है तो इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से ये ठीक हो जाता है। यह मंदिर वेरावल बंदरगाह में स्थित है, जिसकी महिमा श्री मदभगवत गीता स्कन्द पुराण, ऋग्वेद और महाभारत में भी है। यह मंदिर हमेशा से ही हिन्दुओ में आस्था का प्रतीक रहा है। अत्यंत वैभव शाली रहने के कारण इस मंदिर को कई बार तोड़ा और फोड़ा गया है। भारत की स्वतंत्रता के बाद इसका पुनर्निर्माण लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल ने मई 1951में करवाया था और 1 दिसम्बर 1995 को को भारत के राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा जी ने इसे राष्ट्र को समर्पित किया था। इस मंदिर में जाने के लिए कोई शुल्क नही देना पड़ता है। यह मंदिर सुबह 6 बजे से रात के 10 बजे तक खुला रहता है। प्रतिदिन यहाँ तीन बार यानि सुबह 7 बजे, दोपहर 12 बजे और शाम 7 बजे आरती की जाती है।
2. लक्ष्मी नारायण मंदिर (Laxmi Narayan Temple, Somnath)

त्रिवेणी तट के समीप स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर सोमनाथ के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है, जो भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को समर्पित है। इस मंदिर का निर्माण राजा साहिल वर्मन ने करवाया था। यह मंदिर सफ़ेद संगमरमर से भी है जो आधुनिक भारतीय वास्तुशैली का उत्कृष्ट नमूना है। इस मंदिर में भगवान विष्णु के सभी 24 अवतारों का उल्लेखित किया गया है, मंदिर का शांत वातावरण यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं को मोहित कर देता है।
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3. श्री परशुराम मंदिर (Shree Parshuram Temple, Somnath)

श्री परशुराम मंदिर भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम को समर्पित है। ऐसी मान्यता है कि परशुराम को भगवान विष्णु ने इसी स्थान पर क्षत्रियहत्या के श्राप से मुक्ति का आशीर्वाद दिया था। यह मंदिर पारंपरिक और आधुनिक दोनों प्रकार के वास्तुकला के मिश्रण में बना हुआ है। मंदिर के आसपास का प्राकृतिक वातावरण बहुत ही शांत और मनमोहक है। मंदिर सुबह के 6 बजे से शाम के 7 बजे तक दर्शन के लिए खुला रहता है।
4. देहोत्सर्ग तीर्थ (Dehotsarg Teerth)

सोमनाथ मंदिर से 1.5 किलोमीटर की दूरी पर हिरन तट पर स्थित ”देहोत्सर्ग तीर्थ” घूमने जाने वाले यात्रियों के लिए एक अच्छा ऑप्शन है। इस जगह के बारे में मान्यता है की भगवान श्री कृष्ण ने अपना शरीर इसी स्थान पर त्याग करके पृथ्वी से गोलोक के लिए प्रस्थान किया था। ”देहोत्सर्ग’‘ का मतलब होता है ”भगवान के प्रस्थान का पवित्र स्थान”। इसके बारे में कहावत है की इसी स्थान पर भगवान श्री कृष्ण एक पीपल के पेड़ के नीचे आराम कर रहे थे, तभी एक शिकारी जिसका नाम ”जरा” था, वहाँ आया और उनके पैर को हिरण का कान समझ कर तीर चला दिया। जिसके बाद भगवान श्री कृष्ण स्वर्ग को प्रस्थान कर गए। यह पवित्र स्थल तीन पवित्र नदियों हिरण, कपिला और सरस्वती जी के संगम पर स्थित है, जो त्रिवेणी जी का संगम स्थल भी कहलाता है। देहोत्सर्ग तीर्थ एक आध्यत्मिक और ऐतिहासिक तीर्थ स्थल है, जहाँ का वातावरण शांत और दिव्यानुभूति से अनुकूलित महसूस होता है। इस तीर्थस्थल पर लोग भगवान की समाधि स्थल के रूप में श्रद्धांजलि देने भी आते हैं।
5. भालका तीर्थ (Bhalka Teerth)

भालका तीर्थ सोमनाथ के सौराष्ट्र जिले के वेरावल के पास प्रभास पाटन में स्थित एक भव्य मंदिर है। यह एक पवित्र और धार्मिक स्थल है, जिसका जुड़ाव महाभारत से है। जहाँ के बारे में कहा जाता है की भगवान कृष्ण शिकारी द्वारा तीर लगने से घायल होकर यहीं पर आकर लेटे हुए थे। इस स्थान पर भगवान श्री कृष्ण जी की एक सुन्दर सी मूर्ति है, जो अर्ध लेटी (आधा लेटा हुआ शरीर) अवस्था में है। इस मूर्ति को देखकर ऐसा लगता है की सचमुच भगवान बांसुरी बजाते हुए लेटे हुए हैं। श्री वल्लभा चार्य ने 9वीं शताब्दी में यहाँ पुरे 9 दिनों तक श्री मदभगवतगीता का पाठ कराया था, जो भगवान श्री कृष्ण को अत्यंत प्रिय है। इस स्थान को लोग भगवान के शरीर त्यागने का स्थान भी मानते है। इसलिए उनके सम्मान में यहाँ एक तुलसी जी का पेड़ लगाया गया है। बलुआ पत्थर से बने इस कृष्ण मंदिर के प्रांगण में एक बरगद का पेड़ भी लगाया गया है। इस मंदिर को भगवान कृष्ण के ”आखिरी चरण” के रूप में भी माना जाता है, और यहाँ के भक्तों, यात्रियों और श्रद्धालुओ में काफी फेमस भी है।
6. प्रभास पाटन संग्रहालय (Prabhas Patan Museum)

यह संग्रहालय ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थलों में काफी महत्वपूर्ण है, जहाँ प्राचीन मूर्तियाँ, प्राचीन वस्तुएं और ऐतिहासिक कलाकृतियाँ संग्रहित की गयी है। इस संग्रहालय में प्राचीन शिलालेख और पुरातात्विक वस्तुएं भी उपलब्ध हैं, जिन्हें देखकर इस क्षेत्र से जुड़ी हुई ऐतिहासिक और धार्मिक जानकारियां भी प्राप्त होती है। इस संग्रहालय में भगवन शिव, भगवान विष्णु और अन्य देवी देवताओं की मूर्तियाँ और धार्मिक कलाकृतियाँ भी हैं, जो उस समय काल के धार्मिक जीवन और महत्व को दर्शाती हैं।
7. पंच पांडव गुफा (Panch Pandav Gufa)

सोमनाथ मंदिर के पास लालघाटी में स्थित यह गुफा पञ्च पांडव के नाम से प्रसिद्ध है। 1949 के वर्ष में इस गुफा मंदिर की खोज बाबा नारायणदास ने की थी, जो महाभारत काल के पांचो पांड्वो युधिष्ठिर, महाबली भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव को समर्पित है। मान्यता है कि पांचो पांडव अपने वनवास काल के दौरान यहाँ आकर रुके थे। यह गुफा एक आकर्षक, रहस्यमयी और रोमांचकारी गुफा है। इस गुफा में भगवान शंकर, भगवन राम, भगवान लक्ष्मण, भगवान हनुमान, माता सीता और माता दुर्गा के मंदिर भी है। इस गुफा में भारत के प्राचीन शिलालेखों और अद्भुत चट्टान संरचनाओं की झलक प्रतीत होता है।
8. जूनागढ़ गेट (Junagadh Gate)

जूनागढ़ गेट सोमनाथ मंदिर के प्रभास क्षेत्र से बहुत ही नजदीक और सबसे ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण आकर्षणों में से एक है। वेरावल से सोमनाथ मंदिर जाने के रास्ते में यह अत्यंत महत्वपूर्ण दरवाजा है। यह गेट जूनागढ़ शहर के किले का हिस्सा था, जो गुजरात के ऐतिहासिक स्थलों में से एक महत्वपूर्ण किला माना जाता है। जूनागढ़ गेट, सोमनाथ शहर की पुरानी दीवारों का एक भाग था और यह सोमनाथ के ऐतिहासिक विकास का गवाह है।
9. सोमनाथ बीच (Somnath Beach)

सोमनाथ beach सोमनाथ शहर में स्थित एक प्रमुख समुद्र तट है, जो अपने नेचुरल खूबसूरती के लिए फेमस है। यह तट मंदिर के नजदीक स्थित है, जो अपनी स्वच्छता और समुद्र के सुंदर दृश्यों के लिए काफी लोकप्रिय है। समुंद्र की लहरें और सुन्दर दृश्य यहाँ आनेवाले यात्रीओं को आनंदित कर देते है।साथ ही मंदिरों से भरे इस शहर में अगर आप एक रोमांटिक हनीमून beach की तलाश में हैं, तो यह समुद्र तट आपके लिए एक सुकून भरा स्थान हो सकता है।
10. गिर राष्ट्रीय उद्यान (Gir National Park)

गिर राष्ट्रीय उद्यान लगभग 1412 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ और सोमनाथ से 65 किलोमीटर की दूरी पर स्थित भारत के सबसे प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण वन्यजीव संरक्षण क्षेत्रों में से एक है। इसकी स्थापना 1965 में की गई थी, लेकिन इसे राष्ट्रीय अभ्यारण्य 1975 में घोषित किया गया था। गुजरात राज्य के सौराष्ट्र में स्थित यह उद्धान मुख्य रूप से (Asiatic Lions) एशियाई शेरों के लिए प्रसिद्ध है। इसे एशियाई शेरों का घर भी कहते हैं। यहाँ लगभग 600 से भी अधिक शेर रहते हैं। शेरों के संरक्षण और बढ़ते हुए जनसंख्या के कारण गिर उद्यान वन्यजीव प्रेमियों के लिए एक ideal (आदर्श) स्थल बन चुका है। शेरों के अलावा यहाँ और भी जंगली जानवर जैसे कि काले भालू , भारतीय भालू, सियार, जंगली सुअर, अलग-अलग तरह के चीते, नीलगाय और विभिन्न प्रकार के पक्षी भी रहते हैं। यहाँ जाने के लिए आपको सरकारी परमिट लेनी पड़ती है। यहाँ जाकर आप ”जंगल सफारी” का आनन्द भी उठा सकते हैं। यहाँ जाने के लिए आपको ऑनलाइन टिकट गिर राष्ट्रीय उद्यान के ऑफिसियल वेबसाइट https://www.girnationalpark.in/book-gir-lion-safari.html से बुक कर सकते है।
सोमनाथ मंदिर कैसे पहुंचे

सोमनाथ मंदिर गुजरात राज्य के सौराष्ट्र जिले में स्थित है और यहाँ पहुँचने के लिए आप हवाई जहाज, ट्रेन मार्ग या सड़क मार्ग में से अपनी सुविधा के अनुसार चुनाव कर सकते है। लेकिन यहाँ पहुंचे के लिए सड़क मार्ग सबसे बेस्ट ऑप्शन है। आप अपनी बजट और टाइम के अनुसार भी अपनी यात्रा के साधन का चुनाव कर सकते हैं। मतलब अगर आप हवाई यात्रा करते हैं, तो पैसे ज्यादा लगेंगे और टाइम कम। लेकिन अगर आप ट्रेन या सड़क मार्ग से सफ़र करते हैं तो पैसे कम लगते हैं और टाइम थोड़ा ज्यादा। आइये देखते हैं की किस तरह का सफर कैसे तय करें, जिससे सफर को यादगार बनाया जा सके।
हवाई मार्ग से सोमनाथ पहुँचनें का तरीका
सोमनाथ मंदिर जाने के लिए सोमनाथ में कोई हवाई अड्डा नही है , लेकिन वहाँ से निकट हवाई अड्डा दीव, राजकोट और अहमदाबाद हवाई अड्डा है।
- दीव हवाई अड्डा – इस हवाई अड्डा से सोमनाथ मंदिर की दूरी लगभग 85 किलोमीटर है, जहाँ से आपको टैक्सी या बसें भी मिल जाएँगी जिससे आप सोमनाथ मंदिर पहुँच सकते हैं।
- राजकोट हवाई अड्डा – इस हवाई अड्डा से सोमनाथ मंदिर की दूरी लगभग 200 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जहाँ से आपको टैक्सी या बस से सोमनाथ मंदिर पहुँच सकते हैं।
- अहमदाबाद हवाई अड्डा – इस हवाई अड्डा से सोमनाथ मंदिर की दूरी लगभग 420 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जहाँ से आपको टैक्सी या बस से आप सोमनाथ मंदिर पहुँच सकते हैं।
ट्रेन मार्ग से सोमनाथ पहुँचनें का तरीका
सोमनाथ पहुँचने के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन वेरावल रेलवे स्टेशन (VRL) है, जो सोमनाथ मंदिर से लगभग 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। वेरावल के लिए देश के प्रमुख शहरों से सीधी ट्रेन सेवा उपलब्ध नही है। सीधी ट्रेन सेवा राजकोट और अहमदाबाद के लिए ही उपलब्ध है। सोमनाथ पहुँचने के लिए आपको राजकोट और अहमदाबाद से लोकल ट्रेन, टैक्सी या उपनगरीय बस आसानी से मिल जाएगी।
सड़क मार्ग से सोमनाथ पहुँचनें का तरीका
सोमनाथ, देश के मुख्य शहरों से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। यहाँ पहुँचने के लिए सबसे अच्छा ऑप्शन सड़क मार्ग ही है। आप बस, टैक्सी या निजी वाहन से यहां आसानी से पहुंच सकते हैं।गुजरात के विभिन्न शहरो से सोमनाथ पहुच सकते है।
- अहमदाबाद से: 400 किमी (लगभग 7-8 घंटे)
- राजकोट से: 215किमी (लगभग 4-5 घंटे)
- द्वारका से: 230 किमी (लगभग 5-6 घंटे)
- दीव से: 80 किमी (लगभग 2 घंटे)
इन शहरो से सोमनाथ पहुँचने के लिए आपको गुजरात राज्य परिवहन (GSRTC) और प्राइवेट बस ऑपरेटर्स द्वारा संचालित बसें आसानी से मिल जाएँगी। बसों की टिकट आप ट्रेवेल एजेंसी के वेबसाइट से ऑनलाइन बुक कर सकते है।
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सोमनाथ जाने के लिए कौन सा मौसम सबसे अच्छा होता है?
सोमनाथ घूमने जाने के लिए आपको पहले वहाँ के मौसम के बारे में जानकारी जरुर लेनी चाहिए। यहाँ घूमने जाने का प्लान कर रहे हो, तो अक्टूबर से लेकर मार्च तक का मौसम सबसे बेस्ट होता है। इस टाइम में यहाँ का तापमान 15 से लेकर 25 डिग्री सेल्सियस तक होता है, जिस कारण यहाँ का मौसम काफी सुहाना और सुकून दायी होता है। जो घूमने के लिए एक बेहतर विकल्प है।
सर्दी का मौसम (अक्टूबर से मार्च ) : सोमनाथ में घूमने के लिए सर्दी का मौसम सबसे बेस्ट है। सर्दी का ये सुहाना मौसम वहाँ के तटीय क्षेत्रों की नेचुरल सुन्दरता को दिखाने के लिए और उसका आनन्द उठाने के लिए एकदम सही टाइम है।
मानसून का मौसम : सोमनाथ घूमने के लिए बारिश का मौसम बेस्ट ऑप्शन नही हो सकता, लेकिन अगर आप जा रहे हो तो हमेशा इस बात का ध्यान रखें की बरसात के कपड़े और बरसात से जुड़ी तैयारियां करके ही जाएँ। हालाँकि सोमनाथ में बहुत ज्यादा बारिश तो नही होती और इस टाइम पर यहाँ का तापमान 25 से 35 डिग्री सेल्सियस तक रहता है। लेकिन इस मौसम में आपको यहाँ की नेचुरल ब्यूटी देखने को मिल सकती है।
गर्मी का मौसम : सोमनाथ में गर्मी के मौसम में घूमने के लिए नही जाना चाहिए। क्योंकि यहाँ बहुत भीषण गर्मी पड़ती है। यहाँ का तापमान 35 से 40 डिग्री सेल्सियस तक रहने के कारण चिलचिलाती गर्मी पड़ती है, जो घर से निकलने में मुश्किल कर देता है। इसीलिए गर्मियों में यहाँ घूमने का प्लान नही करना चाहिए।
सोमनाथ मंदिर के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न हैं?
1. सोमनाथ मंदिर कहाँ स्थित है ?
सोमनाथ मंदिर गुजरात के सौराष्ट्र में वेरावल के पास प्रभास पाटन शहर में स्थित है, जो भारत के पश्चिमी तट पर है।
2. सोमनाथ की यात्रा के सबसे अच्छा मौसम कौन सा है?
सोमनाथ की यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च तक होता है। इस समय यहाँ का तापमान सामान्य रहता है जिससे घूमने में कोई परेशानी नही होती है।
3. सोमनाथ की फेमस भोजन क्या है?
वैसे तो सोमनाथ में खाने के बहुत सारे वयंजन मिलते है, परन्तु मुख्य भोजन में थेपला, फाफड़ा-जलेबी, दाल ढोकली, गाठिया, हांडवो और आम का रस फेमस है।
4. सोमनाथ में कौन सी भाषा बोली जाती है?
सोमनाथ एक तीर्थ स्थल होने के कारण यहाँ देश विदेश से लाखो पर्यटक आते रहते है जिस कारण हिंदी भाषा सर्व प्रचलित है परन्तु यहाँ की मूल भाषा गुजरती है।
5. सोमनाथ मंदिर की वास्तुकला की विशेषताएँ क्या हैं?
यह मंदिर वास्तुकला की चालुक्य शैली में निर्मित है, जो जटिल नक्काशीयों का जीता-जगता उदाहरण है। 50 मीटर ऊँचे इस मंदिर का शिखर इस मंदिर के आकर्षण का केंद्र बिंदू है। इस शिखर पर लगे ध्वज को प्रतिदिन बदला जाता है।
6. सोमनाथ की यात्रा के लिए कितने दिन चाहिए?
सोमनाथ में घूमने के लिए 2-3 काफी है।
7. सोमनाथ की यात्रा के लिए कितना बजट होना चाहिए?
यात्रा के लिए बजट आपके यात्रा की अवधि और ठहरने के स्थान पर निर्भर करता है। आमतौर पर 1500-2000 रूपये प्रति व्यक्ति प्रति दिन के हिसाब से खर्च करने पर सकते है।
अंत में,
आज के इस आर्टिकल में सोमनाथ में घूमने की जगह के बारे में विस्तार से जाना। आशा करती हूँ की आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा। अगर आर्टिकल अच्छा लगे तो अपने दोस्तों एवं अपने सोशल मीडिया पर शेयर जरुर करें। अगर आप इस आर्टिकल से जुड़े कोई भी सुझाव देना चाहते है तो कमेंट करके जरुर बताएं।

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